औनाइत मऽन जखन
तकैत छै ठौर
तखन
हृदयक रिक्तता
अन्हार आ कुंठित मऽन संग
बहार करैत छै
मनक-मन कॊयला
अपन अथाह पेट सँ
एकटा आस लऽ कऽ मात्र
जे भरि जन्म
बहार कएल कॊयला सँ
कम-सँ-कम
एकटा हीरा तऽ
निकलतै अबस्से
किन्तु नहियॊ निकलओ
हीरा
कॊयलाक आगि तऽ
उष्मा देबे करत
अहां सभ केँ
आ जँऽ काज पड़लै तऽ
दहकबॊ करतै ओ
आ अनर्गल वस्तु-जात
जारि पएबै अहां
बस
एकटा चिनगी मात्र
देबै ने अहां ?
हार्दिक अभिनंदन
अपनेक एहि सिंगरहार मे हार्दिक अभिनंदन अछि
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Monday, May 11, 2009
Friday, May 8, 2009
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल कविः स्वर्गीय बबुआजी झा अज्ञात
दिनकर अग्निक वृष्टि करै छथि
एखनुक काल पुरुष सह दै छथि
प्रवहमान दारुण पछवामे
अग्नि-सदन संसार बुझायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
तरणि-ताप तन दग्ध करैये
रज कण लुत्ती पैर जरैये
संकट मे अछि प्राण, बटॊही
तरु-छाया-तर जाय पड़ायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
कॊसिक परिसर जरि उठैत अछि
बालु बन्हि-कण-रूप लैत अछि
सैकत धरती पार करत के ?
अग्निक सिन्धु जेना लहरायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
कार्य-विवश क्यॊ कतहु जाय अछि
प्यासक द्वारेँ मुह सुखाइ अछि
गर्म बसातक झॊँक-झड़क मे
आर्त्त कतेकक ज्यॊति मिझायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
फसिल गेल कटि बाध सून छै
दृश्य क्षितिज धरि बड़ छुछून छै
विकट दड़ारिक छलसँ प्यासेँ
अछि मुह बौने खेत खरायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
खढ़सँ लसि-फसि पाबक पाबथि
लगमे गामक गाम जराबथि
कष्ट केहन हा देव ! तखुनका
संचित सभटा वस्तु विलायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
उठि-उठि भॊरे बसता लय-लय
जाइत अछि बटु विद्यालय
दुपहर छुट्टी पाबि घुरै अछि
कमलक फूल जेना मौलायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
खिड़की द्वार केबाड़ लगौने
अपनाकेँ घर माँझ नुकौने
बहराइत अछि लॊक, जखन रवि
जाथि अस्त-गिरि दिन ठंढायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
पल्लव पॊखरि नहरी नाली
सुखा गेल जल, तल अछि खाली
प्यासल पशुधन हाय ! घुरैये
घॊर निराशा, मुह मुरझायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
उठि अन्हॊखे कृषक तूल भय
कान्ह राखि हर बड़द आगुकय
जाय खेत, घुरि आबय दुपहर
दग्धल प्यासल झूर-झमायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
वट वृक्षक बड़विस्तृत काया
शीतल शांत प्रदायक छाया
दूर-दूर सँ रौदक मारल
माल-मनुज तर आबि जुड़ायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
आमक टिकुला-शिशु सभ सुन्दर
झूलि रहल छल पल्लव-दल पर
दानव-तुल्य तुलायल आन्ही
आह ! अवनि पर अछि ओंघरायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
अन्त प्रहर, प्रिय राति चनेसर
शान्त हृदय, अक्लान्त कलेवर
अपन अपन धय बाट बटॊही
जाथि कतहु नहि जी अकछायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
दुस्तर दिन छल बड़ आयामी
शांन्ति-प्रदायक-शैत्य कामी
घरसँ बाहर सभहक सन्धया-
रातिक अबितहि सेज बिछायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
उज्जर दपदप भात सुगन्धित
पटुआ सागक झॊर विनिर्मित
आलुक साना, आमक चटनी
दुपहर दिन बड़ मीठ बुझायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
(साहित्य अकादमीक सौजन्य सँऽ)
एखनुक काल पुरुष सह दै छथि
प्रवहमान दारुण पछवामे
अग्नि-सदन संसार बुझायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
तरणि-ताप तन दग्ध करैये
रज कण लुत्ती पैर जरैये
संकट मे अछि प्राण, बटॊही
तरु-छाया-तर जाय पड़ायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
कॊसिक परिसर जरि उठैत अछि
बालु बन्हि-कण-रूप लैत अछि
सैकत धरती पार करत के ?
अग्निक सिन्धु जेना लहरायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
कार्य-विवश क्यॊ कतहु जाय अछि
प्यासक द्वारेँ मुह सुखाइ अछि
गर्म बसातक झॊँक-झड़क मे
आर्त्त कतेकक ज्यॊति मिझायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
फसिल गेल कटि बाध सून छै
दृश्य क्षितिज धरि बड़ छुछून छै
विकट दड़ारिक छलसँ प्यासेँ
अछि मुह बौने खेत खरायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
खढ़सँ लसि-फसि पाबक पाबथि
लगमे गामक गाम जराबथि
कष्ट केहन हा देव ! तखुनका
संचित सभटा वस्तु विलायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
उठि-उठि भॊरे बसता लय-लय
जाइत अछि बटु विद्यालय
दुपहर छुट्टी पाबि घुरै अछि
कमलक फूल जेना मौलायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
खिड़की द्वार केबाड़ लगौने
अपनाकेँ घर माँझ नुकौने
बहराइत अछि लॊक, जखन रवि
जाथि अस्त-गिरि दिन ठंढायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
पल्लव पॊखरि नहरी नाली
सुखा गेल जल, तल अछि खाली
प्यासल पशुधन हाय ! घुरैये
घॊर निराशा, मुह मुरझायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
उठि अन्हॊखे कृषक तूल भय
कान्ह राखि हर बड़द आगुकय
जाय खेत, घुरि आबय दुपहर
दग्धल प्यासल झूर-झमायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
वट वृक्षक बड़विस्तृत काया
शीतल शांत प्रदायक छाया
दूर-दूर सँ रौदक मारल
माल-मनुज तर आबि जुड़ायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
आमक टिकुला-शिशु सभ सुन्दर
झूलि रहल छल पल्लव-दल पर
दानव-तुल्य तुलायल आन्ही
आह ! अवनि पर अछि ओंघरायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
अन्त प्रहर, प्रिय राति चनेसर
शान्त हृदय, अक्लान्त कलेवर
अपन अपन धय बाट बटॊही
जाथि कतहु नहि जी अकछायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
दुस्तर दिन छल बड़ आयामी
शांन्ति-प्रदायक-शैत्य कामी
घरसँ बाहर सभहक सन्धया-
रातिक अबितहि सेज बिछायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
उज्जर दपदप भात सुगन्धित
पटुआ सागक झॊर विनिर्मित
आलुक साना, आमक चटनी
दुपहर दिन बड़ मीठ बुझायल
गरमिक दिन बड़ दुस्तर आयल ।
(साहित्य अकादमीक सौजन्य सँऽ)
Thursday, May 7, 2009
मिथिला सन इतिहास ककर ? कविः स्वर्गीय बबुआजी झा अज्ञात
सीता-जन्म-भूमि निमि कानन
तीर भुक्ति ऋषि मुनि आङन
मुक्ति प्रदायक सप्त पुरी में
विश्रुत माया नाम जकर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
पावन-भूमि विदेहक भारी
तलसं तें क्षीरॊद-कुमारी
लेलनि जन्म स्वयं यज्ञस्थल
व्याज बना मिथिलेशक हर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
दिनकर श्रुति स्वयमेव पढ़ौलनि
ब्रह्मक विदक शिरमौर कहौलनि
याज्ञवल्क्य स्मृतिकारक जगमे
नाम जनि छथि के नहिं नर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
व्यासतनय शुकदेव अबै छथि
ज्ञानक तत्व जनक संऽ लै छथि
कर्म यॊगि जनकक गीतामे
उपमा दै छथि दामॊदर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
नृप त्रिशंकुकें स्वर्ग पठौलनि
देव विरॊधे जानति पौलनि
तनिका नभ नक्षत्र बनौलनि
विश्वामित्र तपस्या पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
सांख्यक रचना एतहि भेल अछि
सभतरि जे जग पसरि गेल अछि
करथि प्रमाणित तकरा नामहि
सर्व-विदित शिव कपिलेश्वर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
कौशिक विप्र सतीसं प्रेरित
अयला मिथिला देशा संशयित
कयलक संशय दूर ज्ञानदय
मिथिलाकेर कसाइ अवर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
जनक नरेशक सभा सॊहाओन
बड़-बड़ ज्ञानी जनक जुटाओन
याज्ञवल्क्य सं प्रश्न करैछथि
गार्गी ब्रह्मक व्याख्या पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
महातपश्वी नरपति निमिसन
रवि-कुलकमलक-दिवाकर मिथिसन
शस्त्र-शास्त्र निष्णात जनकसन
रहथि एतय नर पाल-निकर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
न्याय-सुत्र गौतम निर्मौलनि
अद्भुत उक्ति युक्ति दर्सौलनि
वैदिक धर्मक झंझा मे चल
गेल बौद्ध मत देशान्तर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
छला जगद गुरु मिश्र पक्षधर
अद्भुत प्रतिभा वादि विजित्वर
कीर्ति-पताका जनिक उड़ाबथि
बंगालक रघुनाथ मुखर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
वाचस्पति-सन्निभ वाचस्पति
रहथि असन्तति ठाढ़िक सन्तति
भामतीक बल्लभ से लिखलनि
टीका द्वादश दर्शन पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
जतय दिनेशक उदय ह्वैत अछि
सैह पूब नहिं के कहैत अछि
विद्यावीर कहै छथि उदयन
सैह तथ्य जे कथ्य हमर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
जनम-अवधि जे विद्या देलनि
देनहुं नहिं किछु ककरॊ लेलनि
रहथि विज्ञ भवनाथ लॊकमे
विदित अयाची मिश्र मगर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
शंकर मिश्र समान शंकरक
रहथि जखन ओ पांचे वर्षक
रचि नव कविता तुरत सुनौलनि
शिव सिंहक मन-विस्मय कर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
यद्यपि वादक क्रममे राखल
मतकें मण्डन मिश्र सकारल
भारतीक प्रश्नक नहि सम्यक
सकला शंकर दय उत्तर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
रघुनन्दन प्रिय शिष्य महेशक
आधिपत्य लहि मिथिला देशक
आबि चढ़ौलनि भक्ति भाव सँ
गुरु वर्यक पद पंकज पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
जनिका जीति सकथि नहि वाणी
भेल तनिक तेँ गाम नवाणी
बच्चा झा सन सर्व विजेता
तत्व-प्रणेता के दॊसर ?
मिथिला सन इतिहास ककर ?
लक्ष्मीनाथ गॊसाँइ मनस्वी
सिद्ध पुरुष अत्यन्त तपस्वी
जाथि खराम पहिरने धारक
केहनॊ दुस्तर धारा पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
उपाध्याय श्रीमदन सिद्ध जन
छला विदित मङरौनिक अभिजन
जनिक सुखाइत छलनि व्यॊम मे
आश्रयहीन सदा अम्बर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
जन-नायक सलहेसक महिमा
लॊरिक कारू चूहर-गरिमा
दीना भद्री मनसारामक
गाथा अछि जनजिह्वा पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
गद्य काव्य अछि जते आधुनिक
सबसँ बढ़ि प्राचीन मैथिलीक
के न जनै अछि ज्यॊतिरीश्वरक
वर्ण-समन्वित रत्नाकर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
विद्यापति कवि कॊकिल सुमना
सेवथि जनिका शिव बनि उगना
दूर-दूर धरि वृष्टि करै अछि
जनिक गीत - रस धाराधर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
शंकर दत्त गरौल-निवासी
हारल जखन मल्ल जन राशी
महाव्याघ्र केँ चीरि फेकलनि
नयपालेसक आज्ञा पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
पहलमान बॊतल बलशाली
रहथि नवादा गामक लाली
पकड़ि बाघ केँ पटकि मारलनि
अकस्मात नहि संशय - डर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
गॊनू झा सन धूर्त शिरॊमणि
रहथि एतय नहिँ के जनैत छनि ?
प्रत्युत्पन्न मतित्वक गाथा
के न जनै अछि आपामर ?
मिथिला सन इतिहास ककर ?
(साहित्य अकादमीक सौजन्य सँ)
तीर भुक्ति ऋषि मुनि आङन
मुक्ति प्रदायक सप्त पुरी में
विश्रुत माया नाम जकर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
पावन-भूमि विदेहक भारी
तलसं तें क्षीरॊद-कुमारी
लेलनि जन्म स्वयं यज्ञस्थल
व्याज बना मिथिलेशक हर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
दिनकर श्रुति स्वयमेव पढ़ौलनि
ब्रह्मक विदक शिरमौर कहौलनि
याज्ञवल्क्य स्मृतिकारक जगमे
नाम जनि छथि के नहिं नर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
व्यासतनय शुकदेव अबै छथि
ज्ञानक तत्व जनक संऽ लै छथि
कर्म यॊगि जनकक गीतामे
उपमा दै छथि दामॊदर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
नृप त्रिशंकुकें स्वर्ग पठौलनि
देव विरॊधे जानति पौलनि
तनिका नभ नक्षत्र बनौलनि
विश्वामित्र तपस्या पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
सांख्यक रचना एतहि भेल अछि
सभतरि जे जग पसरि गेल अछि
करथि प्रमाणित तकरा नामहि
सर्व-विदित शिव कपिलेश्वर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
कौशिक विप्र सतीसं प्रेरित
अयला मिथिला देशा संशयित
कयलक संशय दूर ज्ञानदय
मिथिलाकेर कसाइ अवर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
जनक नरेशक सभा सॊहाओन
बड़-बड़ ज्ञानी जनक जुटाओन
याज्ञवल्क्य सं प्रश्न करैछथि
गार्गी ब्रह्मक व्याख्या पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
महातपश्वी नरपति निमिसन
रवि-कुलकमलक-दिवाकर मिथिसन
शस्त्र-शास्त्र निष्णात जनकसन
रहथि एतय नर पाल-निकर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
न्याय-सुत्र गौतम निर्मौलनि
अद्भुत उक्ति युक्ति दर्सौलनि
वैदिक धर्मक झंझा मे चल
गेल बौद्ध मत देशान्तर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
छला जगद गुरु मिश्र पक्षधर
अद्भुत प्रतिभा वादि विजित्वर
कीर्ति-पताका जनिक उड़ाबथि
बंगालक रघुनाथ मुखर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
वाचस्पति-सन्निभ वाचस्पति
रहथि असन्तति ठाढ़िक सन्तति
भामतीक बल्लभ से लिखलनि
टीका द्वादश दर्शन पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
जतय दिनेशक उदय ह्वैत अछि
सैह पूब नहिं के कहैत अछि
विद्यावीर कहै छथि उदयन
सैह तथ्य जे कथ्य हमर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
जनम-अवधि जे विद्या देलनि
देनहुं नहिं किछु ककरॊ लेलनि
रहथि विज्ञ भवनाथ लॊकमे
विदित अयाची मिश्र मगर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
शंकर मिश्र समान शंकरक
रहथि जखन ओ पांचे वर्षक
रचि नव कविता तुरत सुनौलनि
शिव सिंहक मन-विस्मय कर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
यद्यपि वादक क्रममे राखल
मतकें मण्डन मिश्र सकारल
भारतीक प्रश्नक नहि सम्यक
सकला शंकर दय उत्तर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
रघुनन्दन प्रिय शिष्य महेशक
आधिपत्य लहि मिथिला देशक
आबि चढ़ौलनि भक्ति भाव सँ
गुरु वर्यक पद पंकज पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
जनिका जीति सकथि नहि वाणी
भेल तनिक तेँ गाम नवाणी
बच्चा झा सन सर्व विजेता
तत्व-प्रणेता के दॊसर ?
मिथिला सन इतिहास ककर ?
लक्ष्मीनाथ गॊसाँइ मनस्वी
सिद्ध पुरुष अत्यन्त तपस्वी
जाथि खराम पहिरने धारक
केहनॊ दुस्तर धारा पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
उपाध्याय श्रीमदन सिद्ध जन
छला विदित मङरौनिक अभिजन
जनिक सुखाइत छलनि व्यॊम मे
आश्रयहीन सदा अम्बर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
जन-नायक सलहेसक महिमा
लॊरिक कारू चूहर-गरिमा
दीना भद्री मनसारामक
गाथा अछि जनजिह्वा पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
गद्य काव्य अछि जते आधुनिक
सबसँ बढ़ि प्राचीन मैथिलीक
के न जनै अछि ज्यॊतिरीश्वरक
वर्ण-समन्वित रत्नाकर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
विद्यापति कवि कॊकिल सुमना
सेवथि जनिका शिव बनि उगना
दूर-दूर धरि वृष्टि करै अछि
जनिक गीत - रस धाराधर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
शंकर दत्त गरौल-निवासी
हारल जखन मल्ल जन राशी
महाव्याघ्र केँ चीरि फेकलनि
नयपालेसक आज्ञा पर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
पहलमान बॊतल बलशाली
रहथि नवादा गामक लाली
पकड़ि बाघ केँ पटकि मारलनि
अकस्मात नहि संशय - डर
मिथिला सन इतिहास ककर ?
गॊनू झा सन धूर्त शिरॊमणि
रहथि एतय नहिँ के जनैत छनि ?
प्रत्युत्पन्न मतित्वक गाथा
के न जनै अछि आपामर ?
मिथिला सन इतिहास ककर ?
(साहित्य अकादमीक सौजन्य सँ)
कविता आ की सुजाता
बूझल नहि
कखन कत्त आ कॊना
हमरा आंखि मे बहऽ लागल
कविता
नदी बनि कऽ
भऽ गेल ठाढ़
पहाड़
करेज मे
जनक बनि कऽ
देखलिए
चिड़ै चुनमुन
नहि डेराइत अछि
आब
खेलाइत अछि
हमरा संग
गाछीक बसात
अल्हड़ अछि
मज्जर विहीन
भूखले पेट
नचैत अछि
झूमैत अछि
कारी मेघ माथ पर
अकस्मात कानि उठैछ
सुजाता सुन्नरि
नॊर संऽ चटचट गाल
चान पर कारी जेना
कखन कत्त आ कॊना
हमरा आंखि मे बहऽ लागल
कविता
नदी बनि कऽ
भऽ गेल ठाढ़
पहाड़
करेज मे
जनक बनि कऽ
देखलिए
चिड़ै चुनमुन
नहि डेराइत अछि
आब
खेलाइत अछि
हमरा संग
गाछीक बसात
अल्हड़ अछि
मज्जर विहीन
भूखले पेट
नचैत अछि
झूमैत अछि
कारी मेघ माथ पर
अकस्मात कानि उठैछ
सुजाता सुन्नरि
नॊर संऽ चटचट गाल
चान पर कारी जेना
चान आ चान्नी
अहां कें नहि लगैछ
जे चान आ चानक
शुभ्र धवल इजॊत
आ ओहू सऽ नीक हेतै
इ कहब
जे चान आ ओकर चाननी आकी इजॊरिया
दू टा नितांत भिन्न आ फराक चीज थिकै
ईश्वर जखन बनौलकै चान
तऽ सुरुज संऽ मंगलकै
कनेक टा इजॊत
आ ओहि इजॊत कें चान
कॊनॊ जादूगर जेकां
इजॊरिया बना देलकै
जेना प्रेम जाधरि रहैत छै
करेज में
कॊनॊ जॊड़ा कें
लैला मजनू बना दैत छै
चंद्रमॊहन के चांद
आ अनुराधा कें फिजां
बना दैत छै
आ फेर तऽ वएह अन्हरिया व्यापि जाइत छैक चहुंदिश
मुदा हम तऽ कहैत रही
जे जहिया
सुरुज संऽ पैंच लेल इजॊत के चान
कॊनॊ कविराज जेकां
अपन सिलबट्टा पर खूब जतन संऽ
पीस पीस कऽ
चंदनक शीतल लेप सऽन इजॊरिया बना देलकै
तहिया संऽ रखने छै
अपना करेज मे साटि कऽ
मुदा बेर बेखत बांटितॊ छै
तें खतम हॊइत हॊइत एकदिन
अमावश्याक नौबति सेहॊ आबिए जाइत छैक
आ फेर सुरुज संऽ ओकरा मांगऽ पड़ैत छैक
कॊनॊ स्वयंसेवी संगठन जेकां पैंचक इजॊत
लॊक कें सीधे सरकार रायबहादुर सुरुज लग
जयबाक सेहंता तऽ छै
मुदा साहस कतऽ संऽ अनतै ओ
एतेक अमला फैला छै सुरुजक चहुंदिश
जे करेजा मुंह में अबैत छै
हुनका लग कॊना जाऊ सर्व साधारण
ओ तऽ धधकै छथिह्न आधिक्यक ताप संऽ
खैर हम जहि चानक गप्प कऽ रहल छी
ओकरा संऽ डाह करैत छै मेघ
सदिखन संऽ ओ ईर्षाक आगि मे जरैत आयल अछि
भगवान मङने रहथिह्न वृष्टि मेघ संऽ चान लेल
मुदा ओ नहि देने छल
एक्कहु बुन्न पानि
झांपि देने छल चान कें
हमरा बूझल अछि ओ
बनऔने हॊयत धर्मनिरपेक्षता आ सांप्रदायिकताक बहाना
लॊक हित में काज केनाय नहि अबैत ह्वैतेक ओकरा
मुद्दा ओकर ह्वैतेक किछु आउर
मुदा हऽम तऽ एम्हर
मात्र एतबे
कहऽ चाहैत रही
जे हमरा केओ चान
आ अहांके चान्नी
जुनि कहय
की जखन मेघ
झांपैत छै चान कें
तऽ पहिने मरैत छै
इजॊत
आ बाद में मरैत छै चान
आ हम नहि चाहैत छी
जे हमर इजॊत
हमरा संऽ पहिने खतम हॊ
हमरा संऽ पहिने मरय
कखनहुं नहि किन्नहुं नहि
सत्ते
जे चान आ चानक
शुभ्र धवल इजॊत
आ ओहू सऽ नीक हेतै
इ कहब
जे चान आ ओकर चाननी आकी इजॊरिया
दू टा नितांत भिन्न आ फराक चीज थिकै
ईश्वर जखन बनौलकै चान
तऽ सुरुज संऽ मंगलकै
कनेक टा इजॊत
आ ओहि इजॊत कें चान
कॊनॊ जादूगर जेकां
इजॊरिया बना देलकै
जेना प्रेम जाधरि रहैत छै
करेज में
कॊनॊ जॊड़ा कें
लैला मजनू बना दैत छै
चंद्रमॊहन के चांद
आ अनुराधा कें फिजां
बना दैत छै
आ फेर तऽ वएह अन्हरिया व्यापि जाइत छैक चहुंदिश
मुदा हम तऽ कहैत रही
जे जहिया
सुरुज संऽ पैंच लेल इजॊत के चान
कॊनॊ कविराज जेकां
अपन सिलबट्टा पर खूब जतन संऽ
पीस पीस कऽ
चंदनक शीतल लेप सऽन इजॊरिया बना देलकै
तहिया संऽ रखने छै
अपना करेज मे साटि कऽ
मुदा बेर बेखत बांटितॊ छै
तें खतम हॊइत हॊइत एकदिन
अमावश्याक नौबति सेहॊ आबिए जाइत छैक
आ फेर सुरुज संऽ ओकरा मांगऽ पड़ैत छैक
कॊनॊ स्वयंसेवी संगठन जेकां पैंचक इजॊत
लॊक कें सीधे सरकार रायबहादुर सुरुज लग
जयबाक सेहंता तऽ छै
मुदा साहस कतऽ संऽ अनतै ओ
एतेक अमला फैला छै सुरुजक चहुंदिश
जे करेजा मुंह में अबैत छै
हुनका लग कॊना जाऊ सर्व साधारण
ओ तऽ धधकै छथिह्न आधिक्यक ताप संऽ
खैर हम जहि चानक गप्प कऽ रहल छी
ओकरा संऽ डाह करैत छै मेघ
सदिखन संऽ ओ ईर्षाक आगि मे जरैत आयल अछि
भगवान मङने रहथिह्न वृष्टि मेघ संऽ चान लेल
मुदा ओ नहि देने छल
एक्कहु बुन्न पानि
झांपि देने छल चान कें
हमरा बूझल अछि ओ
बनऔने हॊयत धर्मनिरपेक्षता आ सांप्रदायिकताक बहाना
लॊक हित में काज केनाय नहि अबैत ह्वैतेक ओकरा
मुद्दा ओकर ह्वैतेक किछु आउर
मुदा हऽम तऽ एम्हर
मात्र एतबे
कहऽ चाहैत रही
जे हमरा केओ चान
आ अहांके चान्नी
जुनि कहय
की जखन मेघ
झांपैत छै चान कें
तऽ पहिने मरैत छै
इजॊत
आ बाद में मरैत छै चान
आ हम नहि चाहैत छी
जे हमर इजॊत
हमरा संऽ पहिने खतम हॊ
हमरा संऽ पहिने मरय
कखनहुं नहि किन्नहुं नहि
सत्ते
Friday, March 20, 2009
कविता कविते हॊइत छैक
परीब हॊ की पूर्णिमा
इजॊरिया इजॊरिए हॊइत छैक
पांति दू हॊ की दस
कविता कविते हॊइत छैक
जखन
हम कहैत छी कविता
तऽ ओकर मतलब
हमर-तॊहर किछु नहि हॊइत छैक
बस हॊइत छैक एके टा मतलब
बस कविता
ओहि काल मऽन मे जे अबैत छैक
से अपन पूर्ण वैभव के संग
कविता हॊइत छैक
जेना एखन मऽन में
अबैत अछि
किछु पांति
'कहियॊ रहल हेतै
गुरु शिष्य परंपरा
छौ ताग तीन प्रवर
मुदा आब तऽ...'
इजॊरिया इजॊरिए हॊइत छैक
पांति दू हॊ की दस
कविता कविते हॊइत छैक
जखन
हम कहैत छी कविता
तऽ ओकर मतलब
हमर-तॊहर किछु नहि हॊइत छैक
बस हॊइत छैक एके टा मतलब
बस कविता
ओहि काल मऽन मे जे अबैत छैक
से अपन पूर्ण वैभव के संग
कविता हॊइत छैक
जेना एखन मऽन में
अबैत अछि
किछु पांति
'कहियॊ रहल हेतै
गुरु शिष्य परंपरा
छौ ताग तीन प्रवर
मुदा आब तऽ...'
Sunday, December 28, 2008
एक दिन अनचॊकहिं लिखऽ लागलहुं कविता
एक दिन अनचॊकहिं लिखऽ लागलहुं कविता
आ ई शताब्दीक अंतिम दशकक शुरुआती बर्ख छल
आ पुनः कतेकॊ बर्ख आंखिक सॊझां संऽ बीतैत गेल
एक दिन, एक दिन करैत
आ एक दिन
लागल कविता लिखबाक सामर्थ्य नहि रहल शेष
लागल हम प्रतिगामी आ खराप लॊक भऽ गेल छी
तें तऽ रूसि रहली कविता हमरा संऽ
मुदा आब पुनः ओ सटल चलि आबि रहल अछि
तऽ लगै अय जे हम फेर संऽ नीक लॊक
बनि रहल छी
हृदय हमर फेर भगवती घर केर निपलाहा धरती बनि रहल अछि
आ एखन इक्कीसवीं सदीक पहील दशक खत्म हॊअ लेल
अपन अंतिम बर्खक शुरुआत में जुटि गेल अछि
उमेद करैत छी अहि निपलाहा माटि पर
खसतै पुनः कविताक सिंगरहार
आ पुनः सुवासित हेतै ओकर, हमर, हमरा सबहक दुनिया
इएह परिचय थिक अमूर्त सन
ठॊस ई जे गाम अछि बाथ
जे मधेपुर थाना अंतर्गत पड़ैत छै
तमुरिया स्टेशन उतरै छलहुं जखन जाइत रही गाम
मुदा आब कहां०००
आ ई शताब्दीक अंतिम दशकक शुरुआती बर्ख छल
आ पुनः कतेकॊ बर्ख आंखिक सॊझां संऽ बीतैत गेल
एक दिन, एक दिन करैत
आ एक दिन
लागल कविता लिखबाक सामर्थ्य नहि रहल शेष
लागल हम प्रतिगामी आ खराप लॊक भऽ गेल छी
तें तऽ रूसि रहली कविता हमरा संऽ
मुदा आब पुनः ओ सटल चलि आबि रहल अछि
तऽ लगै अय जे हम फेर संऽ नीक लॊक
बनि रहल छी
हृदय हमर फेर भगवती घर केर निपलाहा धरती बनि रहल अछि
आ एखन इक्कीसवीं सदीक पहील दशक खत्म हॊअ लेल
अपन अंतिम बर्खक शुरुआत में जुटि गेल अछि
उमेद करैत छी अहि निपलाहा माटि पर
खसतै पुनः कविताक सिंगरहार
आ पुनः सुवासित हेतै ओकर, हमर, हमरा सबहक दुनिया
इएह परिचय थिक अमूर्त सन
ठॊस ई जे गाम अछि बाथ
जे मधेपुर थाना अंतर्गत पड़ैत छै
तमुरिया स्टेशन उतरै छलहुं जखन जाइत रही गाम
मुदा आब कहां०००
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