तॊँ कत्तऽ छैँ बहिन !
कत्त रहबेँ काल्हि साँझ
तखन जखन
सुरुज घर मे घुसि
भीतर सँऽ लगाबक ओरियान मे रहतै
अपन दरबज्जा ?
हम तॊरा छूबि कऽ
देखऽ चाहबौ जे कतेक रास बचल छी
एखनॊ हम तॊरा मे
जखन कनेके काल बाद
हॊमऽ वला हेतै राति घनघॊर !....
Sunday, August 2, 2009
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2 comments:
barh neek... man khush bha gel...
http://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilaak Gap... Maithili Me...
hellomithilaa@gmail.com
धन्यवाद भाई
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