एकटा एहेन समय मे
जखन स्वयं ई समय
सबसे पैघ चिन्ता हॊ सबहिक
हम अपन भाषाक मादे
अपस्यांत छी
फिकिर करैत छी
अपना पर खसैत
प्रश्नक ओहि फुहारक
जे केओ आखिर
किएक लिखैत छै
कविता ओहि भाषा मे
जेकर पाठकक संख्या
विश्व में शायत
सबसे कम छैक ?
आ हम एहि प्रश्नक उत्तर
नहि देबा लेल
कृतसंकल्प छी हुनका
जनिक तर्कसंपन्न विभ्रमित दिमाग मे
ई प्रश्न लहराइत छैन
कॊनॊ विजयपताका-सदृश
मुदा मऽन में जवाब तऽ
उठिते छैक
समयिक धकिआयल
हऽम
सौभाग्यवश सटल छी
प्रेमक गिलेबा सँऽ चुनायल
विश्वास-विचारक मजगूत
देबार सँऽ
हमरा भेटल अछि सहारा
आ जे की हमरा हाथ मे
नहि छल
आ ने हमरा माइक हाथ मे
आ नहिए हमर नानी आ
नानीक नानी केँ हाथ मे
जे ओ चुनि सकितै
अपन मातृभाषा
आ विद्यापति केँ अपन कविश्रेष्ठ
ई एकटा संजॊग छल
आ एहि संजॊग सँऽ
हम करैत छी प्रेम
आ लॊक ईष्या
कॊनॊ भाषा नहि चुनैत छै
अपन कवि आ अपन भाषा-भाषी
आ कॊनॊ भाषाक क्षमता
तय नहि करैत छै समय
ओ तऽ कविक कान्ह पर पड़ल छै
ठॊस जिम्मेदारी बनिके
एहि अतिसुंदर संजॊगक
की हम मैथिल छी
आ जाहि पहिचानक बिना
काज तऽ चलै छै
मुदा तहिना जेना
एहि देशक सत्तैर प्रतिशत
जनताक काज चलैत छै
20 टका रॊज कमा कऽ
Friday, May 29, 2009
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