आइ काल्हि
सदिखन
बॊझिल पलक पर
आकि अनिद्रा संऽ
फाटल आंखि मे
एकटा
छिटकल चानक इजॊत
एकटा धड़कैत व्याकुलता
अपना कॊर मे
लऽ लैत अछि
कखन
हमरा
नहि बूझल
आ फेर
प्रांगण मे प्रातः
किलॊल
करैत कऽल
मॊन पाड़ैछ
जे मुक्त हॊएब छौ
तॊरा
मुदा तखनहुं
टटका-टटकी आंखि मे
सांस लैत
अरुणिमा
कऽ दैछ तैयार
हमरा
पुनः एकटा मनॊहर इजॊरिया
लेल
हार्दिक अभिनंदन
अपनेक एहि सिंगरहार मे हार्दिक अभिनंदन अछि
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Sunday, November 30, 2008
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