आइ प्रातः
इजॊतक यात्रा संऽ पूर्व
हमर पदचाप सुनि
कनेके काल पहिने
सूतल
हमर मॊहल्लाक खरंजा
अपन गाढ़ निन्न संऽ
जागि उठलै
बहुत दिनक बाद
हमर आंखि मे
अरुणिमा
पहिने उलहन दैत
आ
बाद मे
मुसकिआएत
बहुत दिनक बाद
मऽन पड़ल एकटा पांति
'अलस पंकज दृग
अरुणमुख
तरुण अनुरागी
प्रिय यामिनी जागी'
विवेकानंद झा
१२ अक्टूबर ९४
लालबाग, दरभंगा
हार्दिक अभिनंदन
अपनेक एहि सिंगरहार मे हार्दिक अभिनंदन अछि
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Friday, October 17, 2008
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