हार्दिक अभिनंदन

अपनेक एहि सिंगरहार मे हार्दिक अभिनंदन अछि

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Monday, May 11, 2009

देबै ने चिनगी ?

औनाइत मऽन जखन
तकैत छै ठौर
तखन
हृदयक रिक्तता
अन्हार आ कुंठित मऽन संग
बहार करैत छै
मनक-मन कॊयला
अपन अथाह पेट सँ
एकटा आस लऽ कऽ मात्र
जे भरि जन्म
बहार कएल कॊयला सँ
कम-सँ-कम
एकटा हीरा तऽ
निकलतै अबस्से
किन्तु नहियॊ निकलओ
हीरा
कॊयलाक आगि तऽ
उष्मा देबे करत
अहां सभ केँ
आ जँऽ काज पड़लै तऽ
दहकबॊ करतै ओ
आ अनर्गल वस्तु-जात
जारि पएबै अहां
बस
एकटा चिनगी मात्र
देबै ने अहां ?

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