एक दिन अनचॊकहिं लिखऽ लागलहुं कविता
आ ई शताब्दीक अंतिम दशकक शुरुआती बर्ख छल
आ पुनः कतेकॊ बर्ख आंखिक सॊझां संऽ बीतैत गेल
एक दिन, एक दिन करैत
आ एक दिन
लागल कविता लिखबाक सामर्थ्य नहि रहल शेष
लागल हम प्रतिगामी आ खराप लॊक भऽ गेल छी
तें तऽ रूसि रहली कविता हमरा संऽ
मुदा आब पुनः ओ सटल चलि आबि रहल अछि
तऽ लगै अय जे हम फेर संऽ नीक लॊक
बनि रहल छी
हृदय हमर फेर भगवती घर केर निपलाहा धरती बनि रहल अछि
आ एखन इक्कीसवीं सदीक पहील दशक खत्म हॊअ लेल
अपन अंतिम बर्खक शुरुआत में जुटि गेल अछि
उमेद करैत छी अहि निपलाहा माटि पर
खसतै पुनः कविताक सिंगरहार
आ पुनः सुवासित हेतै ओकर, हमर, हमरा सबहक दुनिया
इएह परिचय थिक अमूर्त सन
ठॊस ई जे गाम अछि बाथ
जे मधेपुर थाना अंतर्गत पड़ैत छै
तमुरिया स्टेशन उतरै छलहुं जखन जाइत रही गाम
मुदा आब कहां०००
हार्दिक अभिनंदन
अपनेक एहि सिंगरहार मे हार्दिक अभिनंदन अछि
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Sunday, December 28, 2008
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1 comment:
लागल हम प्रतिगामी आ खराप लॊक भऽ गेल छी
तें तऽ रूसि रहली कविता हमरा संऽ
bad nik
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