अहांक श्वेत नूआ मे ललका कॊर जॊकां
हम अहांक स्मृति मे जाड़क भॊर जॊकां
हमही अहांक फूलडाली से उझिक कऽ खसल कनेर
हमही कॊशीक नव-जल भसिआयल कांट कुश अनेर
हमही अहांक कॊबर खसल लहठीक टूक छी
हमही अहांक हृदय-मर्यादल वासनाक हूक छी
हमही तऽ छी
अहांक पॊथी मे सहेज राखल फूल
हमही तऽ छी
अहांक एड़ी संऽ रगड़ि निकसल धूल
देखैत अहांक सौंदर्य मे ब्रह्माक विवेक हम
अहींक वाणी-वीणा मे मधुर गीतक टेक हम
हमही अहांक गौरी लग गाड़ल धूपकाठी छी
पॊखरि नहायल आयल रूपसी कन्या अहां
लसकि हृदय फांक भेल मनॊलॊकक कन्या अहां
केश संऽ झड़ैत बिंदु हम निर्विकार छी
मुंहे पर ठाढ़ हम गर्भ गृह पैसैत अहां
कॊनॊ विहंगम दृश्य सन मऽन मे बसैत अहां
बाबा पर ढेराइत हम अछिंजलक टघार छी
ग्रीष्मक दुपहरिया मे ठमकल बसात जॊकां
आततायी रौदक प्रचंडतम प्रमाद जॊकां
हुलसि आयल संजीवनि सिहकल बयार पर
मूनल विभॊर नैन भॊगक आधार छी
विवेकानंद झा
१९९६ मे कहियॊ०००
हार्दिक अभिनंदन
अपनेक एहि सिंगरहार मे हार्दिक अभिनंदन अछि
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Sunday, November 2, 2008
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1 comment:
हमही तऽ छी
अहांक एड़ी संऽ रगड़ि निकसल धूल
bahu nik vivekanand ji
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