हार्दिक अभिनंदन

अपनेक एहि सिंगरहार मे हार्दिक अभिनंदन अछि

Search This Blog

Friday, September 7, 2007

एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा

एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा
जतय जाँइ¸ जे करँइ¸ अपन छौ

सबल पाँखि उन्मुक्त गगन छौ
सुमधुर भाषा¸ प्रकॄति अहिंसक
अपन प्रदेश¸ अपन सभ जन छौ

मुदा कतहु रहि अर्जित जातिक
मान सुरक्षित रखिहेँ सूगा¸
एतबा धरि तॊं करिहेँ सूगा

उत्तम पद अधिकाधिक अर्थक
जाल पसारल छै कानन में
पिजड़ा बन्न प्रफुल्लित रहमे
राजा की रानिक आङन में

जन्म धरित्रिक मॊह मुदा तोँ

मन में सभ दिन रखिहेँ सूगा¸
एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा ।

पराधिन छौ कॊन अपन सक
बजिहेँ सिखि-सि‌खि नव-नव भाषा
की क्षति¸ अपन कलाकय प्रस्तुत
पबिहेँ प्रमुदित दूध बतासा

मातॄ सुखक वरदान मुदा नहिं
पहिलुक बॊल बिसरिहेँ सूगा¸
एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा ।

जननिक नेह स्वभूमिक ममता
रहतौ मॊन अपन यदि वाणी
देशक हैत उजागर आनन
रहत चिरन्तन तॊर पिहानी

मुदा पेट पर भऽर दै अनके
नहिं सभ बढ़ियाँ बुझिहेँ सूगा
एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा ।

कवि-बबुआजी झा अज्ञात

No comments: